
Being Jeengar की शुरुआत वर्ष 2011 में फेसबुक पर एक ग्रुप के रूप में हुई । कुछ दोस्तों के बीच एक रात को हुई सामाजिक सरोकारों पर चर्चा इस ग्रुप की उतपति का कारण बनी । इस चर्चा में इस समूह के संस्थापक सदस्यों ने सोचा क्यों न फेसबुक का उपयोग समाज की प्रतिभाओं को एक जुट करने के लिए किया जाए । बहुत से विकल्पों पर विचार के बाद Being Jeengar नाम के समूह बनाने पर सहमति बनी ।
Being Jeengar नाम अपनेआप को व्यक्त करता है: “एक जीनगर होने के नाते ” और इसकी tag लाइन “let’s contribute for ours…” इस ग्रुप की मंशा जताती है । इस तरह 3 संस्थापक सदस्यों के साथ “Being Jeengar -Let’s contribute for ours…” समूह अस्तित्व में आया । बहुत जल्द ही सदस्यों की संख्या १०० के पार पहुच गयी, जिसमे देश विदेश में दुनिया को अपनी चमक से चमत्कृत कर रहे जीनगर समाज के सितारे थे । Being Jeengar की Facebook वाल पर शिक्षा जागरूकता हेतु वैचारिक मंथन शुरू हुआ जिसके फलस्वरूप इस समूह के उद्देश्य क्या क्या हो यह तय हुआ । फेसबुक से वास्तविकता के धरातल पर कार्यों को सम्पादित करने की आवश्यकता नज़र आने लगी और इस हेतु ग्रुप की पहली बैठक २१ मई २०११ को दिल्ली में आयोजित की गयी कुछ और प्रयासों के बाद अब फेसबुक के साथ साथ बीइंग जीनगर दिसंबर २०१३ में एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हो चूका है. मात्र ३ सदस्यों से शुरू हुई विकास यात्रा लगभग २००० सदस्यों तक पहुंच गयी है पर … लक्ष्य अभी भी दूर है…
आशा है यह इतिहास , आने वाले समय में आपके सहयोग से स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा ।
काफ़िला ये आज कहाँ आ पहुंचा ?
अब कदम और भी बेताब नज़र आते है !!
कल यही ख्वाब हकीकत में बदल जायेंगे
आज जो महज ख्वाब नज़र आते है!!
“Being Jeengar- Let’s contribute for ours”